भाग्य / कर्म
कोई कर्म को बड़ा मानता है,
कोई भाग्य को बड़ा मानता है।
जिसकी इच्छाएँ पूरी हो जाती है,
उसका भर्म होता है कि मेहनत से मिला है।
जिसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होती,
वो किस्मत को दोष देता है।
असल में सबसे बड़ा परमात्मा होता है
जिसके हाथ में मानव होता है,
और मानव वहीं सोचता है जो भगवान चाहता है।