Monday, 25 May 2020

भाग्य / कर्म

भाग्य / कर्म

कोई कर्म को बड़ा मानता है,
कोई भाग्य को बड़ा मानता है।

जिसकी इच्छाएँ पूरी हो जाती है,
उसका भर्म होता है कि मेहनत से मिला है।

जिसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होती,
वो किस्मत को दोष देता है।

असल में सबसे बड़ा परमात्मा होता है
जिसके हाथ में मानव होता है,
और मानव वहीं सोचता है जो भगवान चाहता है।

ज़िन्दगी एक जेल है .. .. .. .. ..

ज़िन्दगी एक जेल है,
मनुष्य एक कैदी ।
परमात्मा जेलर है,
मनुष्य वहीं करता है जो परमात्मा चाहते है।

मनुष्य कुछ भी नहीं करता सब कुछ पहले से ही निश्चित है।

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आज-कल सभी लोग तेज़ रफ़्तार में थे,
हर कोई जल्द से जल्द धन कमाना चाहता था मानो जैसे धन खत्म होने वाला हो।
हर कोई बड़ा नाम कमाना चाहता था
मानो जैसे नाम कभी डूबेगा ही नहीं।

जिन सबके कारण हमने प्रकृति का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया,
मानो बहुत दुरुपयोग किया हो।

पर अब उसी प्रकृति की बारी है
मानो वो अपने ऊपर हुए अत्याचारों का हिसाब ले रहीं हो।

जीवन एक मात्र शून्य .. .. .. .. ..

जीवन एक मात्र शून्य होता है,
अपनी इच्छाओं, अपने आरामदायक के लिये,
मानव इसमें हलचल पैदा करता है जिसके कारण सुख-दुःख, अच्छा-बुरा, सकारात्मक-नकारात्मक पैदा होते है। ये सब मानव की बनाई हुई चीजें है। 

#विपुलकृष्णा
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