My experience says
We are just only pupets.
बच्चपन से सुना है मेहनत करो फल मिलेगा, आज पता लगा मेहनत से 🔔 मिलेगा।
अगर मेहनत से सब कुछ मिलता तो सबसे पहले एक मज़दूर की सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती।
हम एक कठपुतली है, सब कुछ निष्चित है जो होना है वो होकर ही रहेगा।
इच्छा पैदा करने वाला भी ईश्वर है, उस इच्छा को पूरा करने वाला भी ईश्वर है, उस इच्छा को खत्म करने वाला ईश्वर ही हैं।
गीता में लिखा ईश्वर की इच्छा बिना एक कण भी नहीं हिल सकता।
जब गीता पड़ी थी तब एक बात भी समझ नहीं आई थी, पर ज़िन्दगी ने सभी अध्याये एक-एक उपयोग सहित समझाये।
तो जो ज़िन्दगी से दुःखी है, वो एक बार "गीता" पढ़ ले पढ़ने के बाद आप भी मेरी तरह कहोगे
अपना हर दिन ऐसे जिओ जैसे कि आखिरी हो।
जीने का मज़ा आज ही है।